सागवान की खेती से फायदे और कीमत
हम में से कई लोग ऐसे हे जिनके पास थोड़ी बहुत जमीन होती है। मगर उस ज़मीन में हम फसल ले नहीं सकते या फिर लेना नहीं चाहते। या फिर यूँ कहूं तो हमें खेती के बारें में सही जानकारी नहीं होती।
या तो कुछ संजोग में हम शहर में नौकरी करते है इस वजह से हमारी इच्छा हो कर भी हम खेती का काम कर नहीं सकते। तो निश्चिंत होकर इस लेख को पढ़ने के बाद आप सागवान खेती से होनेवाले फायदे और उन लकड़ी की कीमत और इनसे होने वाले मुनाफे के बारें में ज़रूर जानोगे।
इस लेख में आप जानोगे आप किस प्रकार से थोडी सी जमीन में खेती करके कुछ ही सालों में लाखों रूपये कमा सकतें है। तो चलिए जानते है के सागवान खेती से होनेवाले फायदे और उन लकड़ी की कीमत के बारें में।
सागवान की जानकारी :
सागवान का वानस्पतिक नाम: "TECTONA GRANDIS" है।
सागवान भी आम पेड़ों की तरह एक विशालकाय वृक्ष है। सागवान के पेड़ की उम्र करीब 200 साल तक होती है।
सागवान की लकड़ी बहोत ही मजबूत और कीमती होती है। इस पर पॉलिश बहोत जल्दी चड जाती है । इससे यह दूसरी लकड़ी की तुलना में दिखने में अधिक आकर्षक दिखती है।
सागवान की लकड़ी कम सिकुड़ती है । इसकी मज़बूती इतनी होती है की कई साल पुरानी इमारतों में भी यह लकड़ी ज्यों की त्यों पाई गई है । ख़ास कर हमारी स्कूलों में बने चम चमाते टेबल और खुर्सी आम तौर पे इसी सागवान की लकड़ी से बनि हुवी होती है।
सागवान की लकड़ी को दीमक से कोई नुकसान नहीं होता। सागवान की लकड़ी का उपयोग जहाजों, नावों, मकानों की खिड़कियों, दरवाजों और फर्नीचर के निर्माण में होता है।
पुरे भारत में सागवान की खेती होती है। आम तौर पे सागवान की खेती 550 से 1100 फिट की ऊंचाई तक की जाती है। तो सागौन वृक्ष 550 से 1100 फिट की ऊंचाई पर उपलब्ध होते हैं।
पिछले कई दशकों में जंगलों से सागवान की कटाई इतनी तेजी से हुई के जंगलों से पेड़ गायब होते जा रहे हैं, और इस पर भी सागवान की लकड़ी की गुणवत्ता और मांग को देखते हुए सागौन की कीमत और मांग भी तेजी से बढ़ती जा रही है।
सागवान की लकड़ी को ना तो दीमक लगती है, और ना ही वह पानी में खराब होती है। इसीलिए सागवान की लकड़ी का इस्तेमाल महंगी वस्तुएं बनाने में होता है।
सागवान के पौधे कैसे उगाएं:
सागवान के पौधे को लगाने के लिए जून से अक्टूबर का महीना बहुत खास होता है। मगर यदि आप चाहो तो इसे पूरे साल कभी भी लगा सकते हो।
पूरे साल इसे बढ़ने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं होती। मगर दूसरे मौसम के मुकाबले सर्दी का मौसम में इसे लगाना अच्छा नहीं होता। क्योकि सर्दी में इसका ग्रोथ कम होता है।
इसके अलावा यदि जमीन ज्यादा पानी वाले और बाढ़ वाले इलाके में है तो सागवान के पौधे को बारिश के मौसम के बाद ही लगाना चाहिए।
सागवान के पौधे को लगाने के लिए मिट्टी की जांच कैसे करें:
खेत पर आप सागवान का पेड़ लगाना चाहते हो तो उस मिट्टी की जांच आप पहले जरूर करवा लें। मिट्टी की जांच रिपोर्ट अगर पीएच वैल्यू ( PH Value ) 6.50 से 8.50 के बीच आती है तभी यहाँ मिट्टी सागवान की खेती के लिए उत्तम होती है।
सागवान को कितने पानी की जरूरत होती है:
जब यह पौधा छोटा हो तब इसे पहले 1 महीने में रोजाना पानी की जरूरत होती है। बारिश के मौसम में बरसाती पानी इसे काफी होता है और सर्दी के मौसम में महीने में एक बार ही इसे पानी की जरूरत होती है। उसके बाद 1 साल में हफ्ते में एक बार ही इसे पानी की जरूरत पड़ती है।
सागवान को किससे होता है खतरा:
सागवान के पौधे को उस जमीन में बिल्कुल ना लगाएं जो पानी से भरा रहता है। इसके अलावा इसे कीड़े लगने का और दीमक का भी खतरा रहता है। इन सभी से बचने के लिए कॉन्ट्रैक्ट करने वाली कंपनी ट्रेनिंग देती है।
ध्यान रहे सागवान के पौधे को दीमक लग सकती है, लेकिन जब इस लकड़ी का फर्नीचर बन के तैयार हो जाता है तभी से दीमक नहीं लगती। यही इस लकड़ी की खासियत है।
सागवान की खेती के लिए कितना खर्च होता है :
1 एकड़ जमीन में सागवान के 500 पौधे लगा सकते हैं। सागवान के पौधे को लगाने के लिए इसके पौधे आपको ग्रीन इंडिया बायो टेक से मिल जाएंगे। इस पौधे अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग कीमत पर मिलते हैं। मगर देखा जाए तो सागवान का एक पौधा ₹ 130 से लेकर ₹ 150 तक मिलता है।
विश्वस्तरीय पौधा सप्लायर कंपनी ग्रीन इंडिया बायो टेक से सागवान की पौधे लेने में यह फायदा है के इन पौधों के साथ 1 साल की रिप्लेसमेंट गेरंटी यह कंपनी वाले देते हैं। यदि एक साल के भीतर आप के पौधे किसी वजह से खराब हुए या मर गए तो कंपनी बिना किसी खर्च के आपको यह पौधे फिर से उपलब्ध कराती है। आपको सागवान के पौधे लगाने हो तो इसे लगाने के लिए एक फिट की दूरी 10 *9 तक रखें यह दूरी सागवान के पौधे के लिए उत्तम होती है।
क्या सागवान के साथ दूसरी फसल लेना संभव है:
बिल्कुल संभव है आप अगर अपने खेत पर कोई फसल लगाने के साथ-साथ सागवान की खेती भी करना चाहते हैं तो आपको खेत की मेड पर सागवान का पौधा लगाना होगा।
किन किन राज्यों में सागवान की अच्छी फसल होती है:
सागवान के पौधे को वैसे तो कहीं भी लगाया जा सकता है। मगर भारत में बर्फ वाले राज्यों में जैसे जम्मू कश्मीर हिमाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में इसे नहीं लगाया जा सकता। इसके अलावा समुद्र किनारे बसे शहरों में समुद्र से करीब 30 किलोमीटर दूर सागवान को लगाया जा सकता है।
सागवान का पेड़ कितने साल में बिकने लायक हो जाता है:
सागवान का टिश्यू कल्चर डीप इर्रीगेशन 12 से 15 साल तक तैयार हो जाता है। लेकिन फिर भी अगर 12 साल के पेड़ की गोलाई 3 फिट यानि 36 इंच हो जाए तब यह बेचने लायक हो जाता है।
सागवान की खेती से फायदे कीमत और कमाई :
सागवान की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करने वाली कंपनियां 2500 क्यूबिग फिट तक कीमत लेती है। एक पेड़ पर 10 से 12 क्यूबिक फीट तक लकड़ी निकल आती है। सागवान की खेती से 12 * 2500 = 30,000 तक एक पेड़ की कीमत होगी। इस हिसाब से 1 एकड़ में 500 पेड़ लगाने पर इन सभी की कुल कीमत 500 * 30,000 किया जाए तो 1. 5 करोड़ तक होगी।
1 एकड़ खेत की मेड की औसत लंबाई और चौड़ाई 200 गुना 220 होती है। जिस पर करीब 150 पौधे लगाए जा सकते हैं लेकिन मेड पर 10 * 9 फीट की दूरी पर नहीं बल्कि 6 बाई 6 फीट की दूरी पर लगेंगे।
सागवान 150/- पेड़ की कीमत ₹ 19,500/- प्रति पेड़ करीब 12 साल के बाद करीब 60 लाख रुपए के होगे।
सागवान के पेड़ को कहाँ बेचें:
1. सागवान की लकड़ी खरीदने वाले किसी कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट कर लिया जाए।2. किसी भी शहर के खुले बाजार में इसे बेच सकते हैं।
आपने देखा सागवान की खेती हमें कैसे उपयोगी हो सकती है। मेने इस लेख में सागवान के विषय में विस्तार से जानकारी देने की कोशिश की है।
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